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‘एक पेड़ माँ के नाम’ विज़न और मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पहल के अनुरूप वन और शहरी हरियाली पर ध्यान केंद्रित करने से स्वच्छ वायु और पर्यावरण सुधार में काफ़ी मदद मिलेगी -डॉ. अरुण कुमार सक्सेना

भारत और नेपाल ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत किया
लखनऊ, 16 अक्टूबर, 2025
“राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) – योजना, कार्यान्वयन और निगरानी” पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 16-17 अक्टूबर 2025 तक लखनऊ में आयोजित किया गया है, जिसमें भारत और नेपाल के लगभग 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करना, भारत के स्वच्छ वायु प्रबंधन अनुभव को साझा करना और उत्सर्जन सूची, स्रोत विभाजन और शहर-स्तरीय स्वच्छ वायु कार्य योजना में तकनीकी क्षमता का निर्माण करना है।

अंतर्राष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) द्वारा, अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण स्थिरता एवं प्रौद्योगिकी मंच के साथ साझेदारी में, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भारत सरकार के वक्ताओं के साथ आयोजित इस कार्यक्रम ने सिंधु-गंगा के मैदान और हिमालयी तलहटी (आईजीपी-एचएफ) क्षेत्र में सहकर्मी शिक्षा और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।

उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने आज यहाँ होटल हिल्टन में इस पहल की सराहना करते हुए कहा,
“भारत और नेपाल के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान आईसीआईएमओडी द्वारा परिकल्पित एक बेहतरीन विचार है। भारत के प्रधानमंत्री के ‘एक पेड़ माँ के नाम’ विज़न और मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) पहल के अनुरूप वन और शहरी हरियाली पर ध्यान केंद्रित करने से स्वच्छ वायु और पर्यावरण सुधार में काफ़ी मदद मिलेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रमुख सचिव, आईएएस श्री अनिल कुमार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्तर प्रदेश के कई शहरों ने वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है और स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में शीर्ष तीन में स्थान बनाए हुए हैं।
आईसीआईएमओडी के वायु प्रदूषण शमन विभाग के एक्शन एरिया लीड श्री आशीष तिवारी ने ज़ोर देकर कहा,
“वायु प्रदूषण एक सीमा-पार समस्या है जिसके लिए क्षेत्रीय अभिसरण की आवश्यकता है। यह कार्यक्रम भारत और नेपाल के बीच दक्षिण-दक्षिण ज्ञान आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की दिशा में पहला कदम है।”
यह प्रशिक्षण पूरे दक्षिण एशिया में स्वच्छ वायु और स्वस्थ समुदायों के लिए विज्ञान-आधारित नीति-निर्माण और क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने की दिशा में एक सार्थक कदम है।

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