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मेरी मां

_ “मेरी माँ”_

माँ! तू सच में है अनमोल
जो समझे मेरे बोल
माँ! तेरा ना कोई मोल
सच में तू बड़ी प्यारी है
माँ! तू बड़ी निराली है ।
माँ! तेरा प्यार अनोखा है
तेरी बात अनोखी है,
तेरा साथ अनोखा है
तेरी बात अनोखी है ।
माँ! मैं बस तुम्हें ही अपना
हाल बता पाती हूं और
हाल बता के खुद को
बड़ा ही हल्का पाती हूं ।
माँ! मैं जो बातें किसी से भी
ना कह पाती हूं, वो सारी बातें
तुम्हें बतला कर आराम पाती हूं।
माँ!मैं औरों के सामने भले ही
कितना भी समझदार बन जाऊँ
पर, तेरे सामने खुद को बच्ची ही
बनी देखना चाहती हूं ।
माँ! माना कि मैं थोड़ी लापरवाह हूं
पर, ये भी सच है कि
मुझे तुम्हारी बहुत फिकर होती है ।
माँ! मैं तुम्हें कितना प्यार करती हूं
ये कभी नहीं बतला पाऊंगी ।
माँ !तेरे लिए मेरा हृदय हर-पल
रोता बिलखता और तड़पता है
पर ;मेरे इस करुण भाव को
कोई नहीं समझता है ।
माँ! मुझे जब भी तुम्हारी
याद आती है तो
मेरी अंखियाँ सजल हो जाती हैं ।
मेरा कोमल हृदय विह्वल हो जाता है,
पर ये भी सच है कि
मेरे इस भाव को कोई
नहीं समझ पाता है।
माँ!तेरी यादें मुझे बहुत सताती है
तेरी याद में मेरी अंखियाँ
भर – भर आती हैं ।
माँ!सीधे शब्दों में कहूं तो
तुम्हारे सिवा कोई नहीं है जो
मेरे मनोभाव को समझ सके ।
अंत में इतना ही कहूंगी कि
माँ !तेरा प्यार निराला है
जो सच में प्यारा है
कोई नहीं है जग में ऐसा
जो तुम सा मेरे दिल को प्यारा है।
लव यू माँ !लव यू माँ!लव यू माँ ।

डॉ० संजुला सिंह “संजू”
जमशेदपुर (झारखंड )

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